जैव-विकास: दसावतार के रूप में (Evolution in form of Dasaavatar of Lord Vishnu)

"बदलाव एक मात्र ऐसी चीज है जो कभी नहीं बदलती"
-राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 

        
हम बचपन से विज्ञान का एक प्रसिद्ध सिद्धांत पढ़ते आये हैं- ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Energy conservation)
''ऊर्जा (Energy) न तो उत्पन्न की जा सकती है न ही नष्ट की जा सकती है, यह केवल एक निकाय (System) से दूसरे निकाय में स्थानांतरित होती है  और एक रूप से दूसरे रूप में बदलती है। ब्रह्माण्ड की कुल ऊर्जा नियत (Constant) और संरक्षित (Conserved) रहती है।''

बिलकुल ऐसी ही बात भगवत गीता में भी लिखी है :
''आत्मा न तो जन्म लेती है न मरती है , ये केवल एक शरीर से दूसरे में स्थानांतरित में होती है। सभी आत्माएं एक ही परमात्मा से निकलती है और फिर उसी में मिल जाती हैं।''

गीता के अनुसार एक आत्मा का परमात्मा से अलग होकर शरीर धारण करने से जीवों का जन्म होता। वो जीव अपने जीवन के सभी जैविक कार्य करते हुए अंत में फिर से उसी परमात्मा में मिल जाता है। उसमें से कुछ जीव ऐसे होते हैं जो जीवन-विकास की प्रक्रिया को एक नयी सकारात्मक दिशा देते हैं ,इन जीवों को कहा जाता है "अवतार".

प्रजातियों का उद्भव (Origin of Species):

भगवान् विष्णु के प्रसिद्ध 10 अवतारों की बात करने से पहले मैं एक महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन  की बात करना चाहूँगा। डार्विन ने अपनी एक किताब Origin of Species के माध्यम से पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। इसाई और इस्लामिक धर्मावलम्बियों ने डार्विन का घोर विरोध किया।
लेकिन फिर भी डार्विन के सिद्धांत के द्वारा हम अपने ग्रह पे हुए जैव-विकास(Evolution) को पुरे प्रामाणिकता  के साथ समझ सकते हैं।

डार्विन की यह क्रांतिकारी खोज इतनी आसानी से नहीं हुयी। अपनी खोज की शुरुवात डार्विन ने पूरी दुनिया में यात्रा करके वहां पाई जाने वाली प्रजातियों के अध्ययन से की।

डार्विन ने 12 ऐसे द्वीपों पे यात्रा की जो पूरी तरह से एक दुसरे से समुद्र के द्वारा से विलगित थे।



Darwin's Voyage


  इन द्वीपों पर रहने वाली प्रजातियों का अध्ययन करके डार्विन को कितना आश्चर्य हुआ ये उनके बोले हुए शब्दों से साफ़ व्यक्त होता है :
"मुझे ये जान के आश्चर्य हुआ कि अमेरिका , अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के द्वीपों पे विभिन्न जीवों की  इतनी प्रजातियाँ पायी जाती हैं और ये द्वीप एक दुसरे से बिलकुल विलगित होने के बावजूद इन पे पायी जाने वाली प्रजातियों में मूलभूत समानताएं इस प्रकार हैं जैसे ये सभी किसी एक ही पूर्वज से विकसित हुयी हों "
A note from Darwin's Diary

डार्विन और उनके बाद के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पे पायी जाने वाली कुल 87 लाख यूकैरियोटिक प्रजातियों के पाए जाने का अनुमान लगाया है।
क्या इसे एक संयोग समझें या फिर हमारे ऋषियों का अद्भुद ज्ञान कि हमारे ग्रंथों के अनुसार पृथ्वी पे 84 लाख प्रजातियाँ पायी जाती हैं। ये आंकड़ा वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित आंकड़े के बहुत करीब हैं।


Different species are an evidence of Evolution

डार्विन के अनुसार जैव-विकास का क्रम(Order of Evolution according to Darwin):

डार्विन अपने लम्बे अनुसन्धान के बाद जिस नतीजे पे पहुंचे, वो संक्षेप में इस तरह समझा जा सकता है:
1.Chordates (Fish): डार्विन के अनुसार पृथ्वी पे सर्वप्रथम जलीय जीव (Aquatic Organism) आये। समुद्रों में जलीय जीव, सरल से जटिल होने शुरू हुए
2.Tetrapodes (Amphibian with legs): उसके बाद ऐसे जीवों का विकास हुआ जो पानी और जमीन दोनों जगह पे रहने के लिए अनुकूलित थे। इन जीवों को उभयचरी (Amphibian) कहा जाता है
3.Mammals: विकास का क्रम आगे बढ़ा और स्तनधारी (Mammalian) जानवरों का विकास हुआ,जिनकी वजह से दैत्याकार डाइनासोर का अंत हुआ
4.Primates (to Hominidae): इन स्तनधारी जानवरों में धीरे धीरे आधुनिक मानव के लक्षण दिखने लगे थे
5.Hominidae before Homo Erectus (more like humans but much shorter): फिर पेड़ों पे रहने वाले , शारीरिक रूप से कम विकसित, लेकिन मानसिक रूप से बुद्धिमान जीवों का निर्माण हुआ
6.Homo Erectus (to Homo Sapiens): इसके बाद बने आदि मानव, औजारों और हथियारों का इस्तेमाल करना सीख गए थे
7.Homo Sapiens: और फिर पूर्ण विकसित आधुनिक मानवों का आगमन हुआ।

Stages of Evolution


सिर्फ सात बिन्दुओं में लिखी विकास की ये प्रक्रिया वास्तव में करोणों वर्षों में पूरी हुयी।जिसमें डाइनासोर का आना और लुप्त हो जाना भी सम्मिलित है।


दसावतार के रूप में जैव-विकास( Evolution in the form of Dashavataar)

पिछली पोस्ट में हमने ये जाना था कि विष्णु के तीसरे रूप यानि क्षीरोदक शई विष्णु जो कि क्षीर सागर में रहते हैं उनसे विभिन्न अवतारों का जन्म होता है। यूँ तो पृथ्वी पे जन्म लेने वाला प्रत्येक जीव उन्ही का रूप है किन्तु उनमें से 24 जीवों को अवतार की संज्ञा दी गयी है।
उन 24 अवतारों में से 10 को सर्वाधिक महिमा मंडित किया गया।
विष्णु के ये 10 अवतार क्रम से इस प्रकार हैं:
1.मत्स्य अवतार (The Fish)
2.कुरमा अवतार (The Turtle)
3.वराह अवतार (The First Mammal)
4.नरसिंह अवतार (Half Man-Half Animal)
5.वामन अवतार (The Dwarf)
6.परशुराम अवतार (Man with Iron Weapon)
7.राम अवतार (Man who tought the lesson of Dicipline)
8.कृष्ण अवतार (Man who tought the lesson of Management)
9.बुद्ध अवतार (Man who tought the lesson of Peace)
10.कल्कि अवतार (Half Man-Half Machine)

विष्णु के शुरू के 5 अवतार जैव-विकास (Biological-Evolution) को दर्शाते हैं और बाद के 5 अवतार सभ्यता-विकास (Civilization-Evolutin) को दर्शाते हैं।

1.मत्स्य अवतार (The Fish):

विष्णु का पहला अवतार एक जलीय जीव है।हालाँकि मछली से पहले और भी बहुत सारे निम्न स्तरीय जलीय जीव आये किन्तु क्रन्तिकारी परिवर्तन लाने वाला मत्स्य बहुत ही महत्वपूर्ण है।शायद इसी वजह से इसे अवतार की संज्ञा मिली।

Matsya Avtar: Begining of life in water

 

2.कुरमा अवतार (The Turtle):

मछली के बाद अगला महत्वपूर्ण जीव जो जल और जमीन दोनों जगह रहने के लिए अनुकूलित है। जीव विज्ञान में इन जीवों को उभयचरी (Amphibian) कहते हैं।
विष्णु का दूसरा अवतार कुर्म, एक Amphibian यानि  एक कछुआ है। कछुए को इतना महत्व मिलने का कारण यही है कि यहीं से जमीन पे रहने वाले जीवों का पृथ्वी पे आगमन हुआ।

Kurma Avtar: Amphibian,Adapted to live in water as well as on land

3.वराह अवतार (The First Mammal):

थल पे रहने वाले जीवों में जब विकास होना शुरू हुआ तब उच्च स्तरीय जीवों के लक्षण आने शुरू हो गए।तभी जन्म हुआ विष्णु के तीसरे अवतार वराह का, जो की एक स्तनधारी जानवर(Mammalian Animal) है। वराह अवतार ने दैत्याकार असुर (Dinosaur) का विनाश करके भूदेवी (Land) की रक्षा की थी।


Varah Avtar: Mammal who saved the Land from Giant Dinosaur


4.नरसिंह अवतार (Half Man-Half Animal):

स्तनधारी जंतुओं में अब मानव के लक्षण प्रकट होने शुरू हो गए। नरसिंह अवतार एक ऐसे प्राणी हैं जिनमें आधे लक्षण पशु के और आधे लक्षण मानव के हैं।

Narsimha Avtar: Half man Half Lion

5.वामन अवतार(The Dwarf):

विष्णु का पांचवा अवतार वामन , शारीरिक रूप से अल्प-विकसित है लेकिन अत्यंत बुद्धिमान है।
इसकी तुलना आप आदि-मानव से कर सकते हैं। Biology बताती है कि अगर आदि-मानव इतने बुद्धिमान ना होते तो आज हम इतने विकसित मानव नहीं बन पाते।

Vaman Avtar: A wise Dwarf

6.परशुराम अवतार (Man with Iron Weapon):

पृथ्वी पे मानवों का आगमन हो गया। विष्णु के छठे अवतार परशुराम, गुफाओं और जंगलों में रहते थे। और उनके हाथ में एक लोहे का हथियार 'परशु' था।
इस से ये साफ़ पता चलता है कि  जैव-विकास के बाद जब सभ्यता का विकास होना शुरू हुआ तब मानव औजारों और हथियारों का इस्तेमाल करने लगा।
गुफा-जंगल में रहते हुए हथियार धारण किये हुए विष्णु के परशुराम अवतार  इसी लिए महत्वपूर्ण हैं।

Parshuram Avtar: Angry man with Iron weapon 'Parshu'

7.राम अवतार (Man who tought the lesson of Dicipline):

राम से हम सब अच्छी तरह से वाकिफ हैं। उनके जीवन पे हर युग में कई किताबें लिखी गयी हैं।
साधारण मानव के रूप में जन्म लेकर नियम और अनुशासन का पालन करने में अपना जीवन लगा  देने वाले राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं।
राम से पहले आये अवतार शारीरिक और मानसिक रूप से तो विकसित हो गए थे लेकिन जीवन को कैसे जीना है , हमारे कर्तव्य क्या हैं और सभ्यता क्या होती है , ये बातें राम ने सिखाई।

Ram Avtar: The Perfect man

8.कृष्ण अवतार (Man who tought the lesson of Management):

राम की ही तरह कृष्ण भी विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। गीनीज बुक में दर्ज दुनिया की सबसे लम्बी कविता 'महाभारत' के नायक हैं कृष्ण। दुनिया का कोई भी व्यक्ति जो भारतीय दर्शन के बारे में कुछ भी जानता है वो कृष्ण को जरुर जानता है।
रामावतार के साथ मानव ने ये तो सिख लिया था कि कर्तव्यों का पालन करना है लेकिन कर्तव्य पालन के मार्ग में आने वाली दुविधाओं का समाधान कहाँ मिले? किसे हम अपना शत्रु समझें और किसे मित्र? अपने और सम्पूर्ण मानवता के अस्तित्व को बचाने के लिए किस धर्म का पालन करें?, इन सब सवालों के समाधान विष्णु के अवतार कृष्ण ने दिए। महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को दिया गया उपदेश 'श्रीमद-भगवत-गीता' भारतीयों का सबसे पवित्र धर्म ग्रन्थ बना।
कृष्ण को विष्णु का सम्पूर्ण अवतार माना गया है इसलिए जब एक चित्रकार निराकार परमात्मा की कल्पना करता है तो उसे कृष्ण का ही रूप प्रदान करता है। गौरतलब है कि सर्वशक्तिमान विष्णु , बिग बैंग से पहले प्रकृति के रूप में मौजूद थे, बिग बैंग के समय हिरण्यगर्भ के रूप में थे और बिग बैंग के बाद परमाणु के रूप में मौजूद हैं।

Krishna Avtar: The complete incarnation

9.बुद्ध अवतार (Man who tought the lesson of Peace):

"अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ना पड़ेगा, खुद जिन्दा रहना है तो अपने शत्रु को मारना पड़ेगा"
अब तक इसी सिद्धांत का पालन किया जा रहा था।लेकिन मेरा मानना है कि मानवता के विकास में सबसे महान दिशा दिखाने वाले अवतार थे गौतम बुद्ध। बुद्ध ने इंसान को सही मायने में इंसान बनना सिखाया। बुद्ध द्वारा दिखाया गया अहिंसा और शांति का रास्ता आज पूरा विश्व अपनाता है। आज आप देखते हैं कि किसी की किसी से भी दुश्मनी हो, उस समस्या के समाधान के लिए बहस करते हैं, अदालत में जाते हैं, आन्दोलन करते हैं, अपनी बात को समझाने के लिए मीडिया का सहारा लेते हैं लेकिन हिंसा करने से बचते हैं। आज पूरी दुनिया के हर समाज, हर देश,हर मान्यता में हिंसा को गलत माना गया है(तालिबान को अपवाद समझें).

Buddha Avtar:The teacher of humenity

10.कल्कि अवतार (Half Man-Half Machine):

विष्णु के कल्कि अवतार का अब तक जन्म नहीं हुआ है। इनका जन्म कलियुग में ही भविष्य में होगा। कल्कि अवतार आधुनिक मशीनों से युक्त होंगे, विद्युत् से भी तेज़ गति करने वाले वाहन पे सवार होंगे और समय-यात्रा (Time-Travelling) उनके लिए असंभव नहीं होगी।
कल्कि के इस रूप का वर्णन सुन के आपको टर्मिनेटर मूवी के अर्नोल्ड की याद जरुर आ सकती है।

Kalki Avtar: The future man


विष्णु के इन 10 अवतारों के साथ तरह तरह की कहानियां जोड़ दी गयी। शायद इसी वजह से हम इसमें छिपे गहन वैज्ञानिक सिद्धांत को  देख नहीं पाए।लेकिन अगर हम इन क्रमिक 10 अवतारों की तुलना, डार्विन के बताये Evolution के क्रम से करें तो हम इस नतीजे पे पहुँचते हैं कि दोनों श्रृंखलाओं की एक एक कड़ी  सामान हैं।


Comparision: Evolution according to Darwin and according to Dashavtar


चलते चलते :

कलर्स टीवी पे प्रसारित जानेमाने शो "इंडिया'ज  गौट टैलेंट" का पहला सीजन तो याद ही होगा। उसके विजेता थे Prince Dance Group के बच्चे। चाय की दूकान के काम करने वाले, मजदूरी करने वाले गरीब बच्चों के इस ग्रुप ने अपने फाइनल की परफोर्मेंस से पुरे देश को भाव विभोर कर दिया था।
चलते चलते प्रिंस ग्रुप की फाइनल परफॉरमेंस जिसमें उन्होंने विष्णु के दस अवतारों का अद्भुद प्रदर्शन किया, की एक झलक शेयर कर रहा हूँ:

  

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया भाई जी
    बहुत अच्छी पोस्ट है
    आपको हृदय से धन्यवाद

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति॥कृपया अपनी ईमेल आईडी दे॥
    आप का ये लेख हम कुछ समूहिक ब्लॉग पर प्रकाशित करने की अनुमति चाहते है॥
    आशुतोष
    ashu7oct@gmail.com

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    1. My Email ID is: spdfriend@gmail.com
      I will be very thankfull to publish this post on group-blogg.
      is se pahle ek aur lekh hai "Srijan: Creation by Bhrama"

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  3. The Visuals are really beautiful. All the avtars are beautifully depicted here. Thanks for sharing this.

    Please continue to share more information on this.

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  4. thank u very much.
    I have share another post: Srijan: the creation by Brahma.

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  5. श्री दिव्यप्रकाशजी...
    आप के द्वारा लिखे गये दोनों ब्लॉगपोस्ट मैने पढें और आप का अंतःकरणपुर्वक अभिनन्दन करता हू कि बहुत दिनों बाद कुछ ईस प्रकार का पढनें मिला. तर्क तथा तुलना करनें की आप की शैली निःसंकोच बहुतही प्रशंसनिय ही है. आप ईसीप्रकार और लिखते रहें यही आप से प्रार्थना है. अंत में कहना चाहूंगा की हमारी भारतीय सभ्यता और ज्ञान आधूनिक विज्ञान से कईं गुना तक प्रगत एवं श्रेष्ट है.

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  6. चैतन्य जी ,
    निःसंदेह भारतीय दर्शन और भारतीय ग्रन्थ ज्ञान का अद्भुद कोष है जो आज तक विज्ञान के पास भी नही है जैसे:
    बिग बैंग (हिरान्यागर्भ विष्णु) से सारे ब्रह्मांडों का निकलना. इस घटना से पहले क्या हुआ था विज्ञान को नहीं पता. बिग बैंग क्यों हुआ ये भी नहीं पता. और बिग बैंग में इतना पदार्थ और ऊष्मा कहाँ से आई है ये भी नही पता.
    लेकिन भगवत पुराण में सृष्टि निर्माण की घटना हिरान्यागर्भ के बहुत पहले से लिखी हुयी है.

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  7. I am really surpriced to see that Hindu Mythology is so scientific. :) :)
    Hail Lord Vishnu :) :)

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  8. मानव विकास की गाथा को इतना अच्छे और तर्कसंगत तरीके से समझने के धन्यवाद|||
    बिल्कुल सही कहा, भारत दर्शन के लिए कृष्ण को जानना बहुत ज़रूरी है, बल्कि मैं तो ये कहूँगा कि आज के युग में राम से ज़्यादा कृष्ण की ज़रूरत है क्योंकि राम पुरुषोत्तम रहे और कभी कोई ग़लत काम नहीं किया पर ऐसा कोई नियम नहीं जिसे महाभारत में नहीं तोड़ा गया और ये सब हुआ कृष्णजी के नाक के नीचे,,,शायद इसीलिए गंधारी ने उन्हें श्राप भी दिया है| आज कृष्ण जी के सिद्धांत राम जी से ज़्यादा प्रासंगिक लगते हैं|||

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    1. बेशक कृष्ण ने कूटनीति का अतुल्य पाठ पढ़ाया. लेकिन ये सब कुछ क्रम से होना जरुरी था.
      जब तक राम ये न सिखाते की धर्म क्या होता है, तब तक ये सीखना कि धर्म की रक्षा के लिए कूटनीति का इस्तमाल कैसे करना है, निरर्थक होता.
      इसीलिए हर अवतार का क्रम से इस धरती पर जन्म लेना जरुरी था. कृष्ण के जितने ही राम भी प्रासंगिक हैं.

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  9. Mere pas kuchh aur bhi janane aur batane ki. Bat h....Pls call 8376022552

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  10. जीव विज्ञान (Biology) प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है।

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